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Kya Hai IPC Section 497: Adultery.

How to take legal action against adultery in India - iPleaders

  • विवरण: आईपीसी की धारा 497 भारत में व्यभिचार के अपराध से संबंधित है। व्यभिचार से तात्पर्य किसी पुरुष द्वारा किसी विवाहित महिला के साथ उसके पति की सहमति के बिना यौन संबंध बनाने से है। यह प्रावधान विशेष रूप से इसमें शामिल पुरुष को लक्षित करता है, इसे एक आपराधिक अपराध मानता है, जबकि महिला को अभियोजन से छूट दी गई है।
  • अपराध: वैवाहिक संबंधों की पवित्रता की रक्षा करने के उद्देश्य से व्यभिचार को विवाह संस्था के विरुद्ध अपराध माना जाता है।
  • एक उदाहरण: उदाहरण के लिए, यदि एक विवाहित महिला स्वेच्छा से किसी ऐसे पुरुष के साथ यौन संबंध बनाती है जो उसका पति नहीं है, तो पति उस पुरुष के खिलाफ व्यभिचार करने के लिए शिकायत दर्ज कर सकता है।
  • संज्ञान: अपराध का संज्ञान केवल कृत्य में शामिल विवाहित महिला के पति द्वारा दायर शिकायत पर ही लिया जा सकता है। पुलिस वारंट या अदालत के आदेश के बिना जांच या गिरफ्तारी नहीं कर सकती, क्योंकि यह एक गैर-संज्ञेय अपराध है।
  • जमानतीय या नहीं: व्यभिचार एक जमानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि आरोपी गिरफ्तारी पर जमानत प्राप्त कर सकता है। जमानत देना अदालत के विवेक पर निर्भर करता है।
  • किस स्तर के न्यायालय द्वारा मुकदमा: व्यभिचार का मुकदमा प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा चलाया जाता है। अदालत सबूतों की जांच करती है और शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों की दलीलें सुनती है।
  • सजा की मात्रा: आईपीसी की धारा 497 के तहत व्यभिचार के लिए सजा में पांच साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों शामिल हैं। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 2018 में एक महत्वपूर्ण फैसले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने व्यभिचार को असंवैधानिक और समानता के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। परिणामस्वरूप, इस दंड की प्रयोज्यता अब मान्य नहीं हो सकती है।
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