भारत में, तलाक के कानून मुख्य रूप से अलग-अलग धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानून द्वारा नियंत्रित होते हैं, जैसे हिंदू कानून, मुस्लिम कानून, क्रिश्चियन कानून और अन्य। तलाक के कानूनी आधार धार्मिक संबंध पर आधारित होते हैं। यहां भारत में तलाक के कानूनी आधार के जनरल ग्राउंड्स हैं, जिन्हें अलग-अलग व्यक्तिगत कानून पर आधारित किया जाता है:
हिंदू कानून:
व्यभिचार: अगर एक पति या पत्नी अपने जीवनसाथी के अलावा किसी और के साथ अपनी इच्छा से स्वतंत्रता से शारीरिक संबंध बनाए।
अत्याचार: अगर एक पति या पत्नी दूसरे को शारीरिक या मानसिक रूप से अत्याचार करता है, जिससे उनकी जान, स्वास्थ्य पर खतरा हो, या साथ में रहना सहन नहीं हो सकता।
छोड़ देना: अगर एक पति या पत्नी किसी ताज्जुब के बिना दूसरे को कम से कम दो साल तक लगातार बिना कोई सही वजह के छोड़ देता है।
परिवर्तन: अगर एक पति या पत्नी हिंदू धर्म से अलग हो जाता है और किसी अन्य धर्म को अपनाता है। ग. मानसिक रोग: अगर एक पति या पत्नी हमेशा के लिए असमयिक रूप से बेहतर जीवन नहीं बिता सकता है या उन्हें मानसिक रोग है जो साथ में रहना मुश्किल बना देता है।
प्रसरण रोग: अगर एक पति या पत्नी को भयानक और असमयिक रूप से काला खराते या यौन रोगों का असमयिक रूप से संक्रमण है।
मृतक होने का संकेत: अगर पति/पत्नी को कम से कम सात साल तक किसी भी तरह की जिंदा होने की खबर नहीं मिली है।
मुस्लिम कानून:
तलाक: मुसलमान मर्द को अपनी बीवी को तलाक दे देने का अधिकार होता है, जिसे वह तलाक कहते हुए या लिखते हुए प्रकट कर सकते हैं। अलग-अलग प्रकार की तलाक मान्य हैं, जैसे तलाक-ए-आहसान (एक प्रकट करने के बाद निव्रत रहने की अवधि), तलाक-ए-हसन (लगातार के तीन प्रकट करने की अवधि), और तलाक-ए-बिद्दत (एक बैठक में तीन तलाक अदला-बदली करने का, जो सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में निरस कर दिया है)।
क्रिश्चियन कानून:
- व्यभिचार: अगर एक पति या पत्नी अपने जीवनसाथी के अलावा किसी और के साथ अपनी इच्छा से स्वतंत्रता से शारीरिक संबंध बनाए।
- अत्याचार: अगर एक पति या पत्नी दूसरे को शारीरिक या मानसिक रूप से अत्याचार करता है, जिससे उनकी जान, स्वास्थ्य पर खतरा हो, या साथ में रहना सहन नहीं हो सकता।
- छोड़ देना: अगर एक पति या पत्नी किसी ताज्जुब के बिना दूसरे को कम से कम दो साल तक लगातार बिना कोई सही वजह के छोड़ देता है।
- परिवर्तन: अगर एक पति या पत्नी हिंदू धर्म से अलग हो जाता है और किसी अन्य धर्म को अपनाता है।
- मानसिक रोग: अगर एक पति या पत्नी हमेशा के लिए असमयिक रूप से बेहतर जीवन नहीं बिता सकता है या उन्हें मानसिक रोग है जो साथ में रहना मुश्किल बना देता है।
- प्रसरण रोग: अगर एक पति या पत्नी को भयानक और असमयिक रूप से काला खराते या यौन रोगों का असमयिक रूप से संक्रमण है।
- मृतक होने का संकेत: अगर पति/पत्नी को कम से कम सात साल तक किसी भी तरह की जिंदा होने की खबर नहीं मिली है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि तलाक के कानून की व्याख्या पर निर्भर करता है और न्यायालय के फैसले के आधार पर भी अलग हो सकते हैं। व्यक्तिगत परिस्थितियों और लागू होने वाले व्यक्तिगत कानून के आधार पर विशेषज्ञ पारिवारिक वकील से सलाह लेना उचित है।